हे नारी पूजनीय है तू ।

हे नारी पूजनीय है तू ।
शरीर की पवित्रता जल और योग से करती है तू ।
श्वास की पवित्रता प्राणायाम से करती है तू ।
मस्तिष्क की पवित्रता ध्यान से करती है तू ।
बुद्धि की पवित्रता आध्यात्म से करती है तू ।
स्मृति की पवित्रता
मनन एवम चिंतन से करती है तू ।
अहंकार की पवित्रता
सेवा से करती है तू ।
स्वय की पवित्रता
मौन से करती है तू ।
भोजन की पवित्रता
सकारात्मक विचार से करती है तू  ।
धन संपत्ति की पवित्रता
दान से करती है तू ।
भावना की पवित्रता
प्रेम एवं समर्पण से करती है तू ।
क्योंकि तू नारी है
नारी का सम्मान करती है तू ।
समर्पित है नारी की चरणों में पुष्प ।
सरस्वती भी तू, महालक्ष्मी भी तू ।
असुरों के नाश के लिए
दुर्गा माँ भी तू ।
काली माँ भी तू ।
अभिनन्दन है तेरा
अभिनन्दन तेरा
नारी पूजनीये है तू।

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